Embedly-Media Tool to Increase Engagement | हिंदी में जानिए

Leave a Comment
हेलो दोस्तों
आज के इस ब्लॉग पोस्ट में मैं आपको एक ऐसे tool या कहें website के बारे में बताने जा रहां हूँ जिसकी मदद से आप किसी भी वेबसाइट , link  या URL को बहुत ही सुंदरता के साथ अपने ब्लॉग में embed या डाल सकते है।
Embed.ly: Increase Engagement

उदहारण के लिए मान लीजिए की आपको Subhadra Kumari Chauhan का wikipedia page अगर लिंक के साथ दिखाना हो तब आप क्या करेंगे। 
उस link को कॉपी करेंगे और उस लिंक का एक hyperlink अपने ब्लॉग पर डाल देंगे जो की कुछ नीचे दिए गए लिंक की तरह दिखेगा। 


यह दिखने में उतना अच्छा लगता और न ही आपको आकर्षित कर रहा होगा। अब अगर मान लीजिए हम इसी लिंक को कुछ नीचे Embed किये गए लिंक की तरह दिखाये। 


इस तरह से लिंक को दिखाने से लिंक या URL की सुंदरता बढ़ती हैं और साथ ही ब्लॉग भी दिखने में अच्छा लगता हैं।  और जब ब्लॉग अच्छा दिखेगा तब ब्लॉग में traffic बढ़ेगा। इस तरह से कह सकते हैं कि इस सुंदरता से लिंक को दिखने से आपको SEO में मदद मिलगा।
अगर आप भी इसी तरह के सुन्दर ,engaging , आकर्षित, URL या लिंक्स अपने ब्लॉग पर डालना चाहते हैं तो निचे दिए गए EMBEDLY के Website पर जाए।




यह उपयोग करने में बहुत ही आसान हैं और basic option free हैं। सिर्फ आपको अपने ब्लॉग पर HTML डालना बनना चाहिए।





HOW TO USE EMBED.LY ? । कैसे उपयोग करें ?

  •  सबसे पहले आप जिस लिंक या URL को Embedly की मदद से embed करना चाहते है उसे Copy कर ले। फिर इस Embedly के इस लिंक पर जाए। उदहारण के लिए मैं यहाँ पर अपने ब्लॉग का url     "www.hindidost.com" का उपयोग करूँगा। 
  •  Embedly की वेबसाइट पर जाने के बाद आपको  Embed Code Generator का पेज मिलेगा। यहाँ पर आप अपना URL दिए गए जगह पर Paste करे और फिर Embed के button पर click करें। 


Embedly 
  • अब आपको उसी स्क्रीन पर अपने लिंक का card या जिसे हम embed कह रहें हैं दिख जाएगा जिसे आप edit भी कर सकते हैं। 
  • अब "CLICK TO COPY EMBED CODE" पर click करिये और अपने कोड को कॉपी कर ले। 
  • अब जिस जगह आप उस Card को दिखाना चाहते हैं ,उस पेज के HTML पर जाकर code को paste कर दे।  बस अब आपको अपना लिंक सुंदरता के साथ दिखेगा।  



Read More

Satpura Ke Ghane Jungle | सतपुड़ा के घने जंगल -- Bhawani Prasad Misra

Leave a Comment

सतपुड़ा के घने जंगल।
        नींद मे डूबे हुए से
        ऊँघते अनमने जंगल।

झाड ऊँचे और नीचे,
चुप खड़े हैं आँख मीचे,
घास चुप है, कास चुप है
मूक शाल, पलाश चुप है।
बन सके तो धँसो इनमें,
धँस न पाती हवा जिनमें,
सतपुड़ा के घने जंगल
ऊँघते अनमने जंगल।

                सड़े पत्ते, गले पत्ते,
                हरे पत्ते, जले पत्ते,
                वन्य पथ को ढँक रहे-से
                पंक-दल मे पले पत्ते।
                चलो इन पर चल सको तो,
                दलो इनको दल सको तो,
                ये घिनोने, घने जंगल
                नींद मे डूबे हुए से
                ऊँघते अनमने जंगल।

अटपटी-उलझी लताऐं,
डालियों को खींच खाऐं,
पैर को पकड़ें अचानक,
प्राण को कस लें कपाऐं।
सांप सी काली लताऐं
बला की पाली लताऐं
लताओं के बने जंगल
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल।



                मकड़ियों के जाल मुँह पर,
                और सर के बाल मुँह पर
                मच्छरों के दंश वाले,
                दाग काले-लाल मुँह पर,
                वात- झन्झा वहन करते,
                चलो इतना सहन करते,
                कष्ट से ये सने जंगल,
                नींद मे डूबे हुए से
                ऊँघते अनमने जंगल|

अजगरों से भरे जंगल।
अगम, गति से परे जंगल
सात-सात पहाड़ वाले,
बड़े छोटे झाड़ वाले,
शेर वाले बाघ वाले,
गरज और दहाड़ वाले,
कम्प से कनकने जंगल, 
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल।

                इन वनों के खूब भीतर,
                चार मुर्गे, चार तीतर
                पाल कर निश्चिन्त बैठे,
                विजनवन के बीच बैठे,
                झोंपडी पर फ़ूंस डाले
                गोंड तगड़े और काले।
                जब कि होली पास आती,
                सरसराती घास गाती,
                और महुए से लपकती,
                मत्त करती बास आती,
                गूंज उठते ढोल इनके,
                गीत इनके, बोल इनके

                सतपुड़ा के घने जंगल
                नींद मे डूबे हुए से
                उँघते अनमने जंगल।

जागते अँगड़ाइयों में,
खोह-खड्डों खाइयों में,
घास पागल, कास पागल,
शाल और पलाश पागल,
लता पागल, वात पागल,
डाल पागल, पात पागल
मत्त मुर्गे और तीतर,
इन वनों के खूब भीतर।
क्षितिज तक फ़ैला हुआ सा,
मृत्यु तक मैला हुआ सा,
क्षुब्ध, काली लहर वाला
मथित, उत्थित जहर वाला,
मेरु वाला, शेष वाला
शम्भु और सुरेश वाला
एक सागर जानते हो,
उसे कैसा मानते हो?
ठीक वैसे घने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल|

                धँसो इनमें डर नहीं है,
                मौत का यह घर नहीं है,
                उतर कर बहते अनेकों, 
                कल-कथा कहते अनेकों,
                नदी, निर्झर और नाले, 
                इन वनों ने गोद पाले।
                लाख पंछी सौ हिरन-दल,
                चाँद के कितने किरन दल,
                झूमते बन-फ़ूल, फ़लियाँ,
                खिल रहीं अज्ञात कलियाँ,
                हरित दूर्वा, रक्त किसलय,
                पूत, पावन, पूर्ण रसमय
                सतपुड़ा के घने जंगल, 
                लताओं के बने जंगल।


Read More
Next PostNewer Posts Previous PostOlder Posts Home