Net Neutrality क्या है ?
आज कल हम यह शब्द बार बार सुन रहें है. पर हिंदी में इसके बारे हिंदी में लेख कम हैं . मैं आज इन शब्दों के मायने बताने जा रहा हूँ |1. नेट न्यूट्रलिटी एक ऐसी अवधारणा है, जिसमें अपेक्षा की जाती है कि यूजर, कंटेंट, साइट, प्लैटफॉर्म, एप्लिकेशन और संचार के तरीकों के आधार पर न तो भेदभाव किया जाए और न ही अलग-अलग शुल्क लिया जाए.
2. इसमें माना ये जाता है कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर(ISP) और सरकारें नेट पर सभी डेटा को बराबर तवज्जो दें.
3. ऐसा न हो कि कोई सर्विस ‘स्लो लेन’ में इसलिए अटक जाए क्योंकि उसके हिसाब से पैसे नहीं दिए गए.
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एक तरह से ISPs के पास ताकत होगी की आप NET पर कौन से कंटेंट देखे .
इसे और अच्छे से समझाने के लिए विडियो देखिये
न्यूट्रलिटी कहता है कि :
-सारे साईट सामान भाव से सबको उपलब्ध हो
-सामान स्पीड से साईट को एक्सेस करने मिले
-सामान डेटा चार्ज हर site के लिए
यह बिमारी फैली कहाँ से ?
कुछ युगों पहले, Airtel नामक एक दूरसंचार प्रदान करने वाली प्राइवेट कंपनी ने Viber,Skype इत्यादि के माध्यम से किए गए फोन कॉल के लिए उच्च टैरिफ चार्ज करने की कोशिश की। इस तरह इन्होने नेट न्यूट्रलिटी सिद्धांत का उल्लंघन करने की कोशिश की | लोगो के आक्रोश के कारण बाद में Airtel को पेसे कमाने का यह तरीका वापस बंद करना पड़ा |
हाल ही में एयरटेल ने फिर Airtel Zero नामक एक नयी सेवा का उदघाटन किया जिसमे कुछ websites को फ्री कर दिया गया . अगर कोई उपभोगता इन sites पर जाता है तो उसके पेसे वह वेबसाइट देगा. यह भी नेट न्यूट्रलिटी सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा हैं.
क्या फायदे क्या नुक्सान ?
मान लीजिये की ISPs/Telco's को यह ताकत मिल जाये
@ बड़ी बढ़ी कंपनिया पैसो के जोर पर इन सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियों से गठबंधन कर लेगी ताकि उनके websites को फ्री में लोगो को दे सके और कमाई कर सके. चूँकि आपको ये फ्री में मिल रहा हे तो आप दो बार सोचेंगे की डेटा प्लान ले या नहीं . हालकी आपको ये सर्विस फ्री में मिल जाएगी पर दूसरे जो उभरते हुए websites या कंपनिया इस दौड़ में पैसे की कमी की वजह से पीछे हो जाएगी या उठ ही नहीं पायेगी क्योंकि उनके sites आप डेटा प्लान न होने की वजह से नहीं देख पा रहे या ISPs ने उन्हें Block कर दिया होगा .
@ अब अगर छोटी कंपनियों ने थोड़ा बहुत पैसा देकर ISPs को मना भी लिया तो हो सकता है आपको उन सेवाओ का उपयोग करने के लिए कम स्पीड मिले. मतलब ज्यादा पैसा देने वाली कम्पनी को ज्यादा स्पीड मिलेगा बाकि को उनके पैसे देने की क्षमता के हिसाब से स्पीड .
@ अलग कम्पनियां अलग अलग ISPs/टेलिकॉम ऑपरेटर से गठबंधन करेगी . उदहारण के लिए whatsapp आपको वोडाफ़ोन पर फ्री मिलेगा तो facebook एयरटेल पर मिलेगा इत्यादि . अंत में उपभोगता को परेशानी .
अंततः इन्टरनेट की स्वतंत्रता खतरे में हैं.
टेलीकॉम कंपनियां स्काइप और वाइबर के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए अब वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) सेवाओं के लिए कस्टमर से अलग से चार्ज लेना चाहती हैं. इस मसले पर ट्राई जहां डिस्कशन पेपर लाने की तैयारी में है. वहीं, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम नेट न्यूट्रलिटी को बरकरार रखना चाहता है.
नये नियम मुताबिक ये सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी कंटेंट को ब्लॉक नहीं किया जाएगा.
इंटरनेट को इस आधार पर न बांटा जाए कि पैसा देकर इंटरनेट और मीडिया कंपनियां फास्ट लेन पा लें और बाकी लोगों को मजबूरन स्लो लेन मिले.
Net Neutrality के समर्थन के लिए आपका एक email बहुत मदद कर सकता हैं . कृप्या नीचे दिए गए लिंक पर जाये और support करे 24 April 2015 के पहले .
Latest News: 08.02.2016: TRAI ने Net Neutrality का समर्थन करते हुए फेसबुक के फ्री बेसिक को मना कर दिया हैं.
यह समाचार आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं.
आप अगर चाहे तो सारा लेख जो रेगुलेशन (ट्राई) ने कहाँ हैं यहाँ से भी पढ़ सकते हैं.
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